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Channel: नीरज
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अब धनक के रंग सारे रात दिन

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सिर्फ यादों के सहारे रात दिन
पूछ मत कैसे गुज़ारे रात दिन 

साथ तेरे थे शहद से, आज वो 
हो गए रो-रो के खारे रात दिन

कूद जा, बेकार लहरें गिन रहा
बैठ कर दरिया किनारे रात दिन 

बांसुरी जब भी सुने वो श्याम की
तब कहां राधा विचारे रात, दिन 

आपके बिन जिंदगी बेरंग थी 
अब धनक के रंग सारे रात दिन 

है बहुत बेचैन बुलबुल क़ैद में 
आसमाँ करता इशारे रात दिन 

लौट आएंगे वो नीरज ग़म न कर 
खो गये हैं जो हमारे रात दिन 


(ग़ज़ल की नोंक पलक गुरुदेव पंकज सुबीर जी ने संवारी है)

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