त्यागता ख़ुशबू कहाँ है मोगरा सूखा हुआ
अपनी इक पुरानी ग़ज़ल को झाड़-पौंछ कर फिर से प्रस्तुत कर रहा हूँ , उम्मीद है पसंद आएगीखौफ का खंजर जिगर में जैसे हो उतरा हुआआज कल इंसान है कुछ इस तरह सहमा हुआचाहते हैं आप खुश रहना अगर, तो लीजिये,हाथ में...
View Articleकिताबों की दुनिया - 66
भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार...ये शब्द आजकल हर तरफ गूँज रहा है...सदियों से सहते आ रहे भ्रष्टाचार से अचानक लोग मुक्ति पाने के लिए तड़प रहे हैं...नारे लगा रहे हैं, अनशन कर रहे हैं, मुठ्ठियाँ हवा में...
View Articleफूल कर कुप्पा हुआ करती थीं जिस पर रोटियां
गुरुदेव पंकज सुबीर जी ब्लॉग पर हाल ही में एक तरही मुशायरे का आयोजन हुआ था जिसमें "इक पुराना पेड़ बाकी है अभी तक गाँव में" या "कुछ पुराने पेड़ बाकी हैं अभी तक गाँव में " मिसरे पर ग़ज़ल कहनी थी. गाँव के...
View Articleचों मियां फुक्कन
दोस्तों आपको याद होगा पिछले दिनों पंकज सुबीर जी के ब्लॉग पर एक तरही मुशायरे का आयोजन किया गया था जिसमें पेश मेरी ग़ज़ल आप पिछली पोस्ट में पढ़ चुके हैं. उसी मुशायरे के आखिर में उस्ताद शायर "भभ्भड़"पूरा...
View Articleकिताबों की दुनिया - 67
चमकी कहीं जो बर्क तो एहसास बन गयीछाई कहीं घटा तो अदा बन गयी ग़ज़लआंधी चली तो कहर के साँचें में ढल गयीबादे सबा चली तो नशा बन गयी ग़ज़लउठ्ठा जो दर्दे इश्क़ तो अश्कों में ढल गयीबेचैनियाँ बढीं तो दुआ बन...
View Articleबहुत मटका रही हो आज पतली जिस कमरिया को
फागुन चला गया, होली चली गयी तो क्या हुआ ? मस्ती तो नहीं नहीं गयी ना? जिस दिन मस्ती चली गयी समझो सब कुछ चला गया. आज पढ़ते हैं गुरुदेव "पंकज सुबीर"जी के ब्लॉग पर होली के अवसर पर हुए मस्ती से भरपूर तरही...
View Articleकिताबों की दुनिया -68
बात जयपुर की है. सन 1980-90 की. हमारे घर में बरसों से चले आ रहे जयपुर के एक प्रसिद्द समाचार पत्र के साथ साथ हमने 'नव भारत टाइम्स'' जो जयपुर से तब प्रकाशित होना शुरू हुआ था को दो कारणों से मंगवाना शुरू...
View Articleकिसी शजर के सगे नहीं हैं ये चहचहाते हुए परिंदे
(गुरुदेव पंकज सुबीर द्वारा आशीर्वाद प्राप्त ग़ज़ल)अजल से है ये बशर की आदत, जिसे न अब तक बदल सका हैख़ुदा ने जितना अता किया वो, उमीद से कम उसे लगा हैअजल: अनंतकालकिसी शजर के सगे नहीं हैं ये चहचहाते हुए...
View Articleकिताबों की दुनिया - 69
पिछले दिनों मुंबई के अपने मित्र सतीश शुक्ल "रकीब "द्वारा अजीम शायर तर्ज़ लखनवी साहब की याद में आयोजित कार्यक्रम में जाने का मौका मिला. सोचा था इतने बड़े शायर की याद में रखे कार्यक्रम में बहुत से नए...
View Articleगुलमुहर के पेड़ नीचे
देश में गर्मी अपने पूरे रंग में है लेकिन यहाँ खोपोली में बादलों ने हलके से आहट देनी शुरू कर दी है. गर्मियों का अपना आनंद होता है इसी विषय पर पंकज जी के ब्लॉग पर पिछले साल एक तरही मुशायरा हुआ जिसमें...
View Articleकिताबों की दुनिया - 70
बर्फ के घर में ठिठुरते आदमी के ज़ेहन में एक टुकड़ा धूप का अहसास रखतीहै ग़ज़लहाथ रखते ही समय के नब्ज़ पर हमको लगा एक मुर्दा जिस्म में कुछ सांस रखती है ग़ज़लद्रौपदी के चीर हरने पर सभासद मौन हैं न्याय पर...
View Articleआप मुड़ कर न देखते
ज़िन्दगी में जो ग़म नहीं होतानाम रब का अहम् नहीं होतातुझ में बस तू बचा है मुझमें मैंअब के रिश्तों में हम नहीं होताक़त्ल अब खेल बन गया क्यूँ की सर सज़ा में कलम नहीं होतादोस्ती हो के दुश्मनी इसमें यार...
View Articleकिताबों की दुनिया - 71
उस ज़माने में भी ,जब मोबाइल नहीं हुआ करता था, चैट की सुविधा नहीं थी और तो और टेलीफोन भी नहीं था , लोग एक दूसरे से खूब बातें किया करते थे. अब जब बात करने की बहुत सी सुविधाएँ हो गयीं हैं जैसे मोबाइल आदि...
View Articleकि जिनके हाथ में जलती हुई माचिस की तीली है
नजाकत है न खुश्बू औ’ न कोई दिलकशी ही हैगुलों के साथ फिर भी खार को रब ने जगह दी हैकिसी की याद चुपके से चली आती है जब दिल में कभी घुँघरू से बजते हैं, कभी तलवार चलती हैवही करते हैं दावा आग नफरत की बुझाने...
View Articleकिताबों की दुनिया -72
छोटे गाँव कस्बों की तो बात ही छोड़ दें बड़े बड़े शहरों में भी अच्छी शायरी की किताब खोजना रेगिस्तान में पानी खोजने से भी कठिन काम है. सस्ती शायरी के संस्करण भले की रेलवे की बुक स्टाल या एक आध दुकान पर...
View Articleआंखें करती हैं बातें
मैं राजी तू राज़ी हैपर ग़ुस्से में क़ाज़ी हैआंखें करती हैं बातेंमुंह करता लफ्फाजी हैजीतो हारो फर्क नहींये तो दिल की बाज़ी हैतुम बिन मेरे इस दिल कोदुनिया से नाराजी हैकड़वा मीठा हम सब काअपना अपना माजी...
View Articleकिताबों की दुनिया - 73
श्री अवनीश कुमारजी की किताब "पत्तों पर पाजेब", जिसकी चर्चा आज हम इस श्रृंखला में करेंगे, की भूमिका के आरम्भ में दी गयी इन पंक्तियों ने मुझे इस किताब को खरीद कर पढने के लिए प्रेरित किया. “कविता एक कोशिश...
View Articleमन सरोवर में खुशियों के 'नीरज' खिले
( आपके सहयोग और प्यार के कारण इस ब्लॉग ने पांच वर्ष पूरे कर लिए हैं. 5 सितम्बर 2007 से अब तक याने इन पांच वर्षों में उपलब्धि के नाम पर 285 पोस्ट,11000 से अधिक टिप्पणियां, एक लाख चौबीस हज़ार से अधिक बार...
View Articleकिताबों की दुनिया - 74
हर शायर की तमन्ना होती है के वो कुछ ऐसे शेर कह जाय जिसे दुनिया उसके जाने के बाद भी याद रखे...लेकिन...मैंने देखा है बहुत अच्छे शायरों की ये तमन्ना भी तमन्ना ही रह जाती है...शायरी की किताबों पे किताबें...
View Articleअब धनक के रंग सारे रात दिन
सिर्फ यादों के सहारे रात दिनपूछ मत कैसे गुज़ारे रात दिन साथ तेरे थे शहद से, आज वो हो गए रो-रो के खारे रात दिन कूद जा, बेकार लहरें गिन रहाबैठ कर दरिया किनारे रात दिन बांसुरी जब भी सुने वो श्याम कीतब...
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