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Channel: नीरज
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नीम के ये पेड़

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हो खफा हमसे वो रोते जा रहे हैं 
और हम रुमाल होते जा रहे हैं 

नीम के ये पेड़ इक दिन आम देंगे 
 सोच कर रिश्तों को ढोते जा रहे हैं

पत्थरों से दोस्ती कर ली है जब से 
आईने पहचान खोते जा रहे हैं 

कब तलक दें फूल उनको ये बताओ 
जो हमें कांटे चुभोते जा रहे हैं

रहनुमा मक्खन का वादा करके देखो 
कब से पानी ही बिलोते जा रहे हैं 

है यकीं इक दिन यहीं गुलशन बनेगा 
बीज हम बंज़र में बोते जा रहे हैं 

पास मत आना हमारे, कह रहे जो 
आँख से "नीरज" वो न्योते जा रहे हैं

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