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Channel: नीरज
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पालकी लिए कहार की

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ज़बान पर सभी की बात है फ़क़त सवार की 
 कभी तो बात भी हो पालकी लिए कहार की 

 गुलों को तित्तलियों को किस तरह करेगा याद वो 
कि जिसको फ़िक्र रात दिन लगी हो रोजगार की 

 बिगड़ के जिसने पा लिया तमाम लुत्फ़े-ज़िन्दगी 
 नहीं सुनेगा फिर वो बात कोई भी सुधार की 

वो खुश रहे ये सोच कर सदा मैं हारता गया 
 लड़ाई जब किसी के साथ लड़ी आरपार की

 जिसे भी देखिये इसे वो तोड़ कर के ही बढ़ा 
 कहाँ रहीं हैं देश में जरूरतें कतार की 

तुझे पढ़ा हमेशा मैंने अपनी बंद आँखों से 
 ये दास्तान है नज़र पे रौशनी के वार की 

 चढ़े जो इस कदर कि फिर कभी उतर नहीं सके 
 तलाश ज़िन्दगी में है मुझे उसी खुमार की

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