इसउम्मीदकेसाथकिआपनेइसश्रृंखलाकीपहलीकड़ीपढ़लीहोगीऔरअगरनहींभीपढ़ीतोभीये मानकर किपढ़ही लीहोगी ,हमअपनाअगला सफरजारीकरतेहैं। अगरआपनेपिछलीपोस्टपढ़ीहैतो, यादहोगा,आठयुवाशायरोंकेकलामपढ़ेथेजिनकीउम्रइसकिताबकेछपनेतकचालीससेकमथीऔरउनकीअपनीकोईकिताबमंज़र-ऐ-आमपरनहींआईथी। आजहमबाकीकेसातशायरोंकेकलामसेरूबरूहोतेहैं।
शुरुआतकरतेहैं 15 अगस्त 1978 कोमेरठउत्तरप्रदेशमेंजन्मेलेकिन आजकलजयपुरमेंरहरहे जनाबआदिलरज़ामंसूरीसाहबसेजिनकेप्रयाससेहीहमइसगुलदस्तेकेफूलोंकीमहककालुत्फ़उठापारहेहैं। आपनेकरीब 90 युवाशायरोंकीलिस्टसेये 15 शायरछांटकरइसकिताबकीशक्लमेंहमारेसामनेपेशकिये।येकामजितनाआसानलगताहैउतनाहैनहीं।सबसेपहलेहमउनकीइसअनूठीसोचकेलिएउन्हें सलामकरतेहैंऔरफिर उनका कलामआपकोपढ़वातेहैं।आदिलसाहबनज़्मऔरग़ज़लकहनेमेंकमालहासिलरखतेहैं :-
बस्तियांक्योंतलाशकरतेहैं
लोगजंगलउगाकेकागज़पर
जानेक्याहमकोकहगयामौसम
खुश्कपत्तेगिराके कागज़पर
हमने चाहाकिहमभीउड़ जाएँ
एकचिड़ियाउड़ाकेकागज़पर
लोगसाहिलतलाशकरतेहैं
एकदरियाबहा के कागज़पर
कोरग्रुपऑफकंपनीज़केग्रुपसीईओकीहैसियतसेकार्यरतआदिलसाहब बेल्सएजुकेशनएंडरिसर्चसोसाइटी ,चंडीगढ़एवमग्रूमर्सप्रोफेशनलस्टडीजएंडएजुकेशनकेएडवाइजरीमेंबरभीहैं।आपउन्हेंइसविलक्षणकिताबकेलिएउनकेमोबाइलन 09829088001 परबधाईदेसकतेहैं ।आईयेउनकीएकऔर ग़ज़लचंदअशआरआपकोपढ़वाएं :-
येसुनाथाकिदेवताहैवो
मेरेहक़हीमेंक्योंहुआपत्थर
अबतो आबादहैवहांबस्ती
अबकहाँतेरेनामका पत्थर
नामनेकामकरदिखायाहै
सबदेखाहैतैरतापत्थर
हमारेआज के दूसरेऔरकिताबकेदसवेंशायरहैं 11 फरवरी 1978 कोमुल्तानपाकिस्तानमेंजन्मेंजनाब"अहमदरिज़वान"साहब।आपइन्हेंभारतीयकविताओंसबसेबड़ीसाइट"कविताकोष"औरउर्दूअदबकीसबसेबड़ीसाइट"रेख्ता"परभीपढ़सकतेहैं।आपकीदोई-बुक्सतुलु-ऐ-शामइंटरनेटपरउपलब्धहै।आईयेपढ़तेहैंबानगीकेतौरपरउनकीग़ज़लकेकुछशेर :-
ख्वाबोंकाइकहुजूमथाआँखोंकेआसपास
मुश्किलसेअपनेख्वाबकाचेहराअलगकिया
जबभीकहींहिसाबकियाज़िन्दगीकादोस्त
पहलेतुम्हारेनामकाहिस्साअलगकिया
फिरयूँहुआकिभूलगएउसकानामतक
जितनाकरीबथाउसेउतनाअलगकिया
रिज़वानसाहबकीबेहतरीनग़ज़लोंमेंसे सिर्फएकग़ज़लकेअशआरआपतकपहुँचानातोआपलोगोंकेसाथना -इंसाफीहोगीइसलिए उनकीएकऔरग़ज़लके शेर पढ़ें :-
येकौनबोलता हैमिरेदिलकेअंदरून
आवाज़किसकीगूँजतीहैइसमकानमें
उड़तीहैखाकदिलकेदरीचोंकेआसपास
शायदकोईमकीननहींइसमकानमें
'अहमद'तराशताहूँकहींबादमेंउसे
तस्वीरदेखलेताहूँपहलेचटानमें
इसहसीनसफरमेंअबमिलतेहैंजनाब"फ़ैसलहाशमी"साहबसेजिनकाजन्मअगस्त 1976 मेंकबीरवाला (खानेवाल ) पाकिस्तानमेंहुआ।खूबसूरतशख्सियत केमालिकजनाब"फैसलहाश्मी"साहबकानाम पाकिस्तानके चुनिंदानौजवानशायरोंमेंशुमारहोताहैऔरक्योंनहोजराउनकेअशआरपरनज़रडालेंखुदसमझजायेंगे :-
सुखनआगाज़तिरी नीमनिगाहीनेकिया
वरनामुझमेंकोईखामोशहुआजाताथा
कश्तियोंवालेकहींदूरनिकलजातेथे
साफ़पानीमेंकोईरंगमिलाजाताथा
अबबतातेहैंवहांखूनबहेजाताहै
मेराहमख्वाबजहाँतेगछुपाजाताथा
अबजिक्रकरतेहैंजनाबज़िया -उल-मुस्तफ़ा'तुर्क'साहबकाजिनका जन्म 29 अगस्त 1976 मुल्तानपाकिस्तानमेंहुआ।आपपाकिस्तानकीकिसीयूनिवर्सिटीकेउर्दूडिपार्टमेंट मेंलेक्चरर केपदपरकामकररहेहैं। लगभगतीनसालपहलेउनकीएककिताब"सहरपसेचिराग"मंज़रेआमपरआचुकीहै।सादाज़बानमेंमारक शेरकहनाउनकीखासियतहै , मुलाहिज़ाफरमाएं :-
दिलतेरीराहगुज़रभीतोनहींकरसकते
हमतिरीसम्तसफरभीतोनहींकरसकते
अबहमेंतेरीकमीभीनहींहोतीमहसूस
परतुझेइसकीखबरभीतोनहींकरसकते
किसतरहसेनयीतरतीबभुला दीजाये
कुछइधरसेहमउधरभीतोनहींकरसकते
पत्रिका समूह के सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार से सम्मानित शायर ब्रजेश'अंबर'जिनकाजन्म फरवरी 1975 कोजोधपुरराजस्थानमेंहुआइसकड़ीके हमारेअगलेशायरहैं। ब्रजेशसरलभाषामेंकमालकेशेर रचतेहैं :-
मुलाकातकासिलसिलाचाहताहूँ
मगरउसमेंकुछफ़ासिलाचाहताहूँ
गलीहोकिघरहोसफरहोकिमंज़िल
उसेहरजगहदेखनाचाहताहूँ
मुझेचैनघरमेंभी आतानहींहै
मगरशामकोलौटनाचाहताहूँ
उसेदेखकरजानेक्याहोगया है
किहरशख्ससेफ़ासिलाचाहताहूँ
छोटीबहरमेंशेरकहनामुश्किलहोताहैलेकिनब्रजेशजीनेइसविधामेंभीमहारतहासिलकीहै। आपदेखेंकिधूपरदीफ़कोकिसख़ूबसूरतीसेउन्होंनेछोटीबहरमेंनिभायाहै :-
जीनाजीनाचढ़तीधूप
छतपरकबजाबैठीधूप
कितनीअच्छीलगतीहै
घरमेंआती- जातीधूप
तूसावनकीपहलीबूँद
मैं सड़कोंकीजलतीधूप
नौजवानशायरोंका जिक्रहोरहा होऔरउसमें 1 अगस्त 1974 में तालागंग ,चकवाललाहौर ,पाकिस्तानमेंजन्मेंजनाब"ह्मादनियाज़ी"कानाम शुमारन होंऐसामुमकिननहींहै।उनकाएकशेरीमज़्मुआ"जरानामहो"मंज़रेआमपरआचुकीहै :-
हुज़ूरे-ख्वाबदेरतकखड़ारहासवेरतक
नशेबे-चश्मो-क़ल्बसेगुज़रतिराहुआनहीं
नशेबे-चश्मो-क़ल्बसे = ह्रदयकीआँखोंसे
नजानेकितनेयुगढलेनजानेकितनेदुःखपले
घरोंमेंहाँड़ियोंतलेकिसीकोकुछपतानहीं
वोपेड़जिसकीछाँवमेंकटीथीउम्रगाँवमें
मैंचूमचूमथकगयामगरयेदिलभरानहीं
लीजियेसाहबअबआपकेसामनेपेशेखिदमतहैंहमारीइसकड़ीकेसातवेंऔरकिताबकेअंतिमयानेपन्द्रहवेंशायरजनाब"दिलावरअली'आज़र'साहबजिनकाजन्म 21 नवम्बर 1971 मेंहुसैनअब्दाल ,पाकिस्तानमेंहुआ। येजैसाकिआपनेदेखाहोगाइसकिताबकेसबसेउम्रदराज़शायरहैं।सन 2013 मेंउनकीपहलीकिताब"पानी"प्रकाशितहुईऔरबहुतमकबूलहुई।आपउनकीग़ज़लें उर्दूशायरीकीसाइट"रेख्ता"परपढ़सकतेहैं। आईयेलुत्फ़उठातेहैंउनकीग़ज़लकेकुछचुनिंदाशेरोंका :-
सबअपनेअपनेताक मेंथर्राकेरहगए
कुछतोकहाहवानेचरागोंकेकानमें
निकलीनहींहैदिलसेमिरेबद-दुआकभी
रखेखुदाअदूकोभीअपनीअमानमें
मंज़रभटकरहेथेदरो-बामकेक़रीब
मैंसोरहाथाख़्वाबकेपिछलेमकानमें
'आज़र'इसीकोलोगनकहतेहोंआफ़ताब
इकदाग़ साचमकताहैजोआसमानमें
सर्जनाप्रकाशनशिवबाड़ीबीकानेरसेप्रकाशितइसकिताबकीएकप्रतिमुझेमेरेछोटेभाईबेहतरीनशायरअखिलेशतिवारीजीनेभेंटस्वरुपदीथी।आपइसकिताबकारास्ता"आदिलरज़ामंसूरी"साहबकोफोनकरकेपताकरसकतेहैं।
उम्मीदहैआपकोयेपेशकशपसंदआईहोगी। अगलीकिताबकेसाथजल्दहीहाज़िरहोनेकी कोशिशकरेंगे, तबतककेलिएखुदाहाफ़िज़.