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किताबों की दुनिया - 103 / 2

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इसउम्मीदकेसाथकिआपनेइसश्रृंखलाकीपहलीकड़ीपढ़लीहोगीऔरअगरनहींभीपढ़ीतोभीये मानकर किपढ़ही लीहोगी ,हमअपनाअगला सफरजारीकरतेहैं। गरआपनेपिछलीपोस्टपढ़ीहैतो, यादहोगा,आठयुवाशायरोंकेकलामपढ़ेथेजिनकीउम्रइसकिताबकेछपनेतकचालीससेकमथीऔरउनकीअपनीकोईकिताबमंज़र--आमपरनहींआईथी।  आजहमबाकीकेसातशायरोंकेकलामसेरूबरूहोतेहैं। 

शुरुआतकरतेहैं 15 अगस्त 1978 कोमेरठउत्तरप्रदेशमेंजन्मेलेकिन आजकलजयपुरमेंरहरहे जनाबआदिलरज़ामंसूरीसाहबसेजिनकेप्रयाससेहीहमइसगुलदस्तेकेफूलोंकीमहककालुत्फ़उठापारहेहैं। आपनेकरीब 90 युवाशायरोंकीलिस्टसेये 15 शायरछांटकरइसकिताबकीशक्लमेंहमारेसामनेपेशकिये।येकामजितनाआसानलगताहैउतनाहैनहीं।सबसेपहलेहमउनकीइसअनूठीसोचकेलिएउन्हें सलामकरतेहैंऔरफिर उनका कलामआपकोपढ़वातेहैं।आदिलसाहबनज़्मऔरग़ज़लकहनेमेंकमालहासिलरखतेहैं :-



बस्तियांक्योंतलाशकरतेहैं 
लोगजंगलउगाकेकागज़पर 

जानेक्याहमकोकहगयामौसम 
खुश्कपत्तेगिराके कागज़पर 

हमने चाहाकिहमभीउड़ जाएँ 
एकचिड़ियाउड़ाकेकागज़पर 

लोगसाहिलतलाशकरतेहैं 
एकदरियाबहा के कागज़पर 

कोरग्रुपऑफकंपनीज़केग्रुपसीकीहैसियतसेकार्यरतआदिलसाहब बेल्सएजुकेशनएंडरिसर्चसोसाइटी ,चंडीगढ़एवमग्रूमर्सप्रोफेशनलस्टडीजएंडएजुकेशनकेएडवाइजरीमेंबरभीहैं।आपउन्हेंइसविलक्षणकिताबकेलिएउनकेमोबाइल 09829088001 परबधाईदेसकतेहैं ।आईयेउनकीएकऔर ग़ज़लचंदअशआरआपकोपढ़वाएं :-

येसुनाथाकिदेवताहैवो 
मेरेहक़हीमेंक्योंहुआपत्थर 

अबतो आबादहैवहांबस्ती         
अबकहाँतेरेनामका पत्थर

नामनेकामकरदिखायाहै 
सबदेखाहैतैरतापत्थर 

हमारेआज के दूसरेऔरकिताबकेदसवेंशायरहैं 11 फरवरी 1978 कोमुल्तानपाकिस्तानमेंजन्मेंजनाब"अहमदरिज़वान"साहब।आपइन्हेंभारतीयकविताओंसबसेबड़ीसाइट"कविताकोष"औरउर्दूअदबकीसबसेबड़ीसाइट"रेख्ता"परभीपढ़सकतेहैं।आपकीदो-बुक्सतुलु--शामइंटरनेटपरउपलब्धहै।आईयेपढ़तेहैंबानगीकेतौरपरउनकीग़ज़लकेकुछशेर :-

ख्वाबोंकाइकहुजूमथाआँखोंकेआसपास 
मुश्किलसेअपनेख्वाबकाचेहराअलगकिया 

जबभीकहींहिसाबकियाज़िन्दगीकादोस्त 
पहलेतुम्हारेनामकाहिस्साअलगकिया 

फिरयूँहुआकिभूलगएउसकानामतक 
जितनाकरीबथाउसेउतनाअलगकिया 

रिज़वानसाहबकीबेहतरीनग़ज़लोंमेंसे सिर्फएकग़ज़लकेअशआरआपतकपहुँचानातोआपलोगोंकेसाथना -इंसाफीहोगीइसलिए उनकीएकऔरग़ज़लके शेर पढ़ें :-  

येकौनबोलता हैमिरेदिलकेअंदरून 
आवाज़किसकीगूँजतीहैइसमकानमें 

उड़तीहैखाकदिलकेदरीचोंकेआसपास
शायदकोईमकीननहींइसमकानमें 

'अहमद'तराशताहूँकहींबादमेंउसे 
तस्वीरदेखलेताहूँपहलेचटानमें 

इसहसीनसफरमेंअबमिलतेहैंजनाब"फ़ैसलहाशमी"साहबसेजिनकाजन्मअगस्त 1976 मेंकबीरवाला (खानेवाल ) पाकिस्तानमेंहुआ।खूबसूरतशख्सियत केमालिकजनाब"फैसलहाश्मी"साहबकानाम पाकिस्तानके चुनिंदानौजवानशायरोंमेंशुमारहोताहैऔरक्योंहोजराउनकेअशआरपरनज़रडालेंखुदसमझजायेंगे :-

सुखनआगाज़तिरी नीमनिगाहीनेकिया  
वरनामुझमेंकोईखामोशहुआजाताथा 

कश्तियोंवालेकहींदूरनिकलजातेथे 
साफ़पानीमेंकोईरंगमिलाजाताथा 

अबबतातेहैंवहांखूनबहेजाताहै 
मेराहमख्वाबजहाँतेगछुपाजाताथा 

अबजिक्रकरतेहैंजनाबज़िया -उल-मुस्तफ़ा'तुर्क'साहबकाजिनका जन्म 29 अगस्त 1976 मुल्तानपाकिस्तानमेंहुआ।आपपाकिस्तानकीकिसीयूनिवर्सिटीकेउर्दूडिपार्टमेंट मेंलेक्चरर केपदपरकामकररहेहैं। लगभगतीनसालपहलेउनकीएककिताब"सहरपसेचिराग"मंज़रेआमपरचुकीहै।सादाज़बानमेंमारक शेरकहनाउनकीखासियतहै , मुलाहिज़ाफरमाएं :-

दिलतेरीराहगुज़रभीतोनहींकरसकते 
हमतिरीसम्तसफरभीतोनहींकरसकते 

अबहमेंतेरीकमीभीनहींहोतीमहसूस  
परतुझेइसकीखबरभीतोनहींकरसकते 

किसतरहसेनयीतरतीबभुला दीजाये 
कुछइधरसेहमउधरभीतोनहींकरसकते 

पत्रिका समूह के सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार से सम्मानित शायर ब्रजेश'अंबर'जिनकाजन्म फरवरी 1975 कोजोधपुरराजस्थानमेंहुआइसकड़ीके हमारेअगलेशायरहैं। ब्रजेशसरलभाषामेंकमालकेशेर रचतेहैं :-

मुलाकातकासिलसिलाचाहताहूँ 
मगरउसमेंकुछफ़ासिलाचाहताहूँ 

गलीहोकिघरहोसफरहोकिमंज़िल 
उसेहरजगहदेखनाचाहताहूँ 

मुझेचैनघरमेंभी आतानहींहै 
मगरशामकोलौटनाचाहताहूँ 

उसेदेखकरजानेक्याहोगया है
किहरशख्ससेफ़ासिलाचाहताहूँ           

छोटीबहरमेंशेरकहनामुश्किलहोताहैलेकिनब्रजेशजीनेइसविधामेंभीमहारतहासिलकीहै। आपदेखेंकिधूपरदीफ़कोकिसख़ूबसूरतीसेउन्होंनेछोटीबहरमेंनिभायाहै :-

जीनाजीनाचढ़तीधूप 
छतपरकबजाबैठीधूप 

कितनीअच्छीलगतीहै 
घरमेंआती- जातीधूप 

तूसावनकीपहलीबूँद 
मैं सड़कोंकीजलतीधूप 

नौजवानशायरोंका जिक्रहोरहा होऔरउसमें 1 अगस्त 1974 में तालागंग ,चकवाललाहौर ,पाकिस्तानमेंजन्मेंजनाब"ह्मादनियाज़ी"कानाम शुमार होंऐसामुमकिननहींहै।उनकाएकशेरीमज़्मुआ"जरानामहो"मंज़रेआमपरचुकीहै :-

हुज़ूरे-ख्वाबदेरतकखड़ारहासवेरतक 
नशेबे-चश्मो-क़ल्बसेगुज़रतिराहुआनहीं 
नशेबे-चश्मो-क़ल्बसे = ह्रदयकीआँखोंसे

जानेकितनेयुगढलेजानेकितनेदुःखपले 
घरोंमेंहाँड़ियोंतलेकिसीकोकुछपतानहीं 

वोपेड़जिसकीछाँवमेंकटीथीउम्रगाँवमें 
मैंचूमचूमथकगयामगरयेदिलभरानहीं 

लीजियेसाहबअबआपकेसामनेपेशेखिदमतहैंहमारीइसकड़ीकेसातवेंऔरकिताबकेअंतिमयानेपन्द्रहवेंशायरजनाब"दिलावरअली'आज़र'साहबजिनकाजन्म 21 नवम्बर 1971 मेंहुसैनअब्दाल ,पाकिस्तानमेंहुआ। येजैसाकिआपनेदेखाहोगाइसकिताबकेसबसेउम्रदराज़शायरहैं।सन 2013 मेंउनकीपहलीकिताब"पानी"प्रकाशितहुईऔरबहुतमकबूलहुई।आपउनकीग़ज़लें उर्दूशायरीकीसाइट"रेख्ता"परपढ़सकतेहैं। आईयेलुत्फ़उठातेहैंउनकीग़ज़लकेकुछचुनिंदाशेरोंका :-

सबअपनेअपनेताक मेंथर्राकेरहगए 
कुछतोकहाहवानेचरागोंकेकानमें 

निकलीनहींहैदिलसेमिरेबद-दुआकभी 
रखेखुदाअदूकोभीअपनीअमानमें 

मंज़रभटकरहेथेदरो-बामकेक़रीब 
मैंसोरहाथाख़्वाबकेपिछलेमकानमें   

'आज़र'इसीकोलोगकहतेहोंआफ़ताब 
इकदाग़ साचमकताहैजोआसमानमें   

सर्जनाप्रकाशनशिवबाड़ीबीकानेरसेप्रकाशितइसकिताबकीएकप्रतिमुझेमेरेछोटेभाईबेहतरीनशायरअखिलेशतिवारीजीनेभेंटस्वरुपदीथी।आपइसकिताबकारास्ता"आदिलरज़ामंसूरी"साहबकोफोनकरकेपताकरसकतेहैं। 

उम्मीदहैआपकोयेपेशकशपसंदआईहोगी। अगलीकिताबकेसाथजल्दहीहाज़िरहोनेकी कोशिशकरेंगे, तबतककेलिएखुदाहाफ़िज़





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