किताबों की दुनिया - 168
जिस ग़म से दिल को राहत हो उस ग़म का मुदावा क्या मानीजब फ़ितरत तूफ़ानी ठहरी, साहिल की तमन्ना क्या मानी मुदावा =उपचारइश्रत में रंज की आमेज़िश ,राहत में अलम की आलाइशजब दुनिया ऐसी दुनिया है फिर दुनिया-दुनिया...
View Articleकिताबों की दुनिया - 169
खुद भी आखिर-कार उन्हीं वादों से बहले जिन से सारी दुनिया को बहलाया हमने मौत ने सारी रात हमारी नब्ज़ टटोली ऐसा मरने का माहौल बनाया हमने घर से निकले चौक गए फिर पार्क में बैठे तन्हाई को जगह जगह बिखराया हमने...
View Articleकिताबों की दुनिया - 170
क़ैद हो कर रह गया है अपने घर में हर कोई झाँकती हैं दूर तक कुछ खिड़कियाँ बरसात में इस जवाँ मौसम में आओ भीगने का लें मज़ा कब तलक थामे रहोगे छतरियाँ बरसात में कट गया हूँ आज कल दुनिया से मैं कुछ इस तरहजैसी...
View Articleकिताबों की दुनिया - 171
चलिए एक बार फिर से अतीत में झांकते हैं। अतीत, जहाँ शायरी के उस्ताद हैं, कहन का निराला अंदाज़ है, लफ़्ज़ों का जादू है, एहसास की गहराई है, रिवायत का नशा है. आज के युवाओं को पता होना चाहिए कि पहले शायरी कैसी...
View Articleकिताबों की दुनिया - 172
उसे तो जाना था , वो जा चुकी, है शिकवा क्यावो कितना खींच भी सकती थी मेरी व्हील चेयर वो जिसको पाँव के नीचे से कब का खींच लिया बना रहा हूँ मैं अब भी उसी ज़मीन पे घरफ़िराक़ में था वो दीवारो-छत बनाने कीमैं फिर...
View Articleकिताबों की दुनिया -173
सोये सपनों को जगाने की ज़रूरत क्या है बे सबब अश्क बहाने की ज़रूरत क्या है तेरा एहसास ही काफ़ी है मेरे जीने को तेरे आने कि न आने की ज़रुरत क्या है यह फ़िजा तेरी ज़मीं तेरी हवा भी तेरी सरहदें इस पे बनाने की...
View Articleकिताबों की दुनिया-174
माली चाहे कितना भी चौकन्ना हो फूल और तितली में रिश्ता हो जाता है गुलशन गुलशन हो जाने की ख़्वाहिश में धीरे-धीरे सब सहरा हो जाता है अब लगता है ठीक कहा है ग़ालिब ने बढ़ते बढ़ते दर्द दवा हो जाता है घर के...
View Articleकिताबों की दुनिया - 175
शायरी की दीवानगी से मुझे वो ईनाम मिला है जो किसी भी इनाम से बहुत बड़ा है। ये वो ईनाम है जो मिलने के बाद किसी खूबसूरत अलमारी में बंद हो कर दम नहीं तोड़ता ना ही किसी दीवार पर खूबसूरत फ्रेम में टंगा टंगा...
View Articleकिताबों की दुनिया -176
हमें जब काटनी पड़ती हैं सारी रात आँखों में अँधेरे आसमाँ में इक सितारा ढूंढ लेते हैं बरामद होती है वो चीज आखिर कार कमरे में जब उसके वास्ते संसार सारा ढूंढ लेते हैं ख़सारे में हमें वो फ़ायदा बतलाने आये हैं...
View Articleकिताबों की दुनिया - 177
मौन के ये आवरण मुझको बचा ले जायेंगे वरना बातों के कई मतलब निकले जायेंगे अब अंधेरों की हुकूमत हो चली है हर तरफ अब अंधेरों की अदालत में उजाले जायेंगे प्यार का दोनों पे आखिर जुर्म साबित हो गया ये फ़रिश्ते...
View Articleकिताबों की दुनिया - 178
इच्छाओं पर प्रश्नचिन्ह हैं अरमानों पर पहरे हैं संबंधों से हमें मिले जो घाव बहुत ही गहरे हैं सहमत जो न हुआ राज्य से दंड मृत्यु का उसे मिला राजमहल की नींव के पत्थर नरमुंडों पर ठहरे हैं नई क्रांति की आज...
View Articleकिताबों की दुनिया - 179
जलो जिसके लिए उस तक भी थोड़ी सी तपिश पहुंचे ये जीना भी कोई जीना है के बस चुपचाप जल जाओ फ़क़त उसके लिए जीना बहुत अच्छा सही लेकिन कभी अपने लिए भी सामने उसके मचल जाओ यहाँ हर रास्ता बस एक ही मंज़िल को जाता है...
View Articleकिताबों की दुनिया - 180
फिर इस दुनिया से उम्मीद-ए-वफ़ा है तुझे ऐ ज़िन्दगी क्या हो गया है बड़ी ज़ालिम निहायत बे-वफ़ा है यह दुनिया फिर भी कितनी खुशनुमा है हर इक अपने ही ग़म में मुब्तिला है किसी के दर्द से कौन आशना है बात 1969 की है...
View Articleकिताबों की दुनिया - 181
क्यों दिखी नहीं तुझे खूबियां कभी खुद से भी ये सवाल कर तूने खूब नाम कमा लिया, मेरी खामियों को उछाल कर मुझे चुप्पियों से न मार यूँ कोई बददुआ ही तू दे भले तेरी गालियां भी अज़ीज़ हैं मैं इन्हें रखूंगा संभाल...
View Articleकिताबों की दुनिया - 182
तेज़ आंधी में किसी जलते दिए की सूरत मेरे होंठों पे लरज़ता है तिरा नाम अभी *** पहले कहाँ थे हम में उड़ानों के हौसले ये तो कफ़स में आ के हमें बाल-ओ-पर लगे*** अश्क देखा है तिरि आँखों में तब कहीं डूबना आया है...
View Articleकिताबों की दुनिया -183
समझौते पहने मिले रेशम का परिधानबे-लिबास पाए गए सारी उम्र उसूल जबसे खिली पड़ौस में सोनजुही उद्दाम रातें नागफनी हुईं दिन हो गए बबूल हर क्यारी में है यहाँ क्षुद्र स्वार्थ की बेल मूल्य सर्वथा हो गए उपवन से...
View Articleकिताबों की दुनिया - 184
लायक़ कुछ नालायक़ बच्चे होते हैं शे'र कहाँ सारे ही अच्छे होते हैं बच्चोँ की खुशियाँ ढेरों सुख देती हैं हाथ में उम्मीदों के लच्छे होते हैं हम ही उल्टा-सीधा सोचा करते हैं रिश्ते थोड़े पक्के-कच्चे होते हैं...
View Articleकिताबों की दुनिया-185
क्या और उससे मांगता जिसने तमाम उम्रतुझसे बिछुड़ के जाने की हिम्मत न दी मुझे***मुझसे मिलने ही नहीं देती मुझको वो जो दीवार खड़ी है मुझ में***रात सोने के लिए दिन काम करने के लिएवक़्त मिलता ही नहीं आराम करने...
View Articleकिताबों की दुनिया - 186
मासूम चिरागों को हवाओं ने बुझाया क्यों भड़के हुए शोलों प ताज़ीर नहीं की ताज़ीर = सजा सुनाना *** वही शाम है वही रात है मगर अपना अपना नसीब है कहीं काटनी ये मुहाल है कहीं आरज़ू कि सहर न हो *** इसको नादानी...
View Articleकिताबों की दुनिया -187
बाज़ारों में फ़िरते फ़िरते दिन भर बीत गया काश हमारा भी घर होता, घर जाते हम भी ***तुम इक मर्तबा क्या दिखाई दिए मिरा काम ही देखना हो गया ***सड़क पे सोए हुए आदमी को सोने दो वो ख्वाब में तो पहुँच जायेगा बसेरे...
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