किताबों की दुनिया -188
कफ़स भी हैं हमारे और ज़ंजीरें भी अपनी हैं युगों से क़ैद हम अपनी ही दीवारों में बैठे हैं *** मुश्किलें ही मुश्किलें हैं रात-दिन इसको काट कर इस जिस्म से सर को कहीं रख दे *** जानती थी कि तेरे बाद उजड़...
View Articleकिताबों की दुनिया - 189
रह के दुनिया में है यूँ तर्के-हवस की कोशिशजिस तरह अपने ही साये से गुरेज़ाँ होना तर्के-हवस=इच्छाओं का त्याग, गुरेज़ाँ =भागना ज़िन्दगी क्या है ?अनासिर में ज़हूरे-तरतीब मौत क्या है ? इन्हीं अजज़ा का परीशां...
View Articleकिताबों की दुनिया - 190
सच बात मान लीजिये चेहरे पे धूल है इलज़ाम आइनों पे लगाना फ़ुज़ूल है उस पार अब तो कोई तेरा मुन्तज़िर नहीं कच्चे घड़े पे तैर के जाना फ़ुज़ूल है जब भी मिला है ज़ख्म का तोहफा दिया मुझे दुश्मन जरूर है वो मगर...
View Articleकिताबों की दुनिया -191
नहीं है घर कोई ऐसा जहाँ उसको न देखा हो कन्हैया से नहीं कुछ कम सनम मेरा वो हरजाई मुहब्बत के करूँ भुजबल की मैं तक़रीर क्या यारो सितम हो तो उसको उठा लेता है ज्यूँ राई झंकाया था मुझे ज़ाहिद ने कूचा...
View Articleकिताबों की दुनिया - 192
उसके रंग में रँगे लौट आये हैं घर घर से निकले थे रँगने उसे रंग में ***हो ज़रा फ़ुर्सत तो मुझको गुनगुना लो प्रेम का मैं ढाई आखर हो गया हूँ ***जो तुम कहो तो चलें ,तुम कहो तो रुक जाएँ ये धड़कने तो तुम्हारी...
View Articleकिताबों की दुनिया - 193
दिल ना उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है ***तुझको तकमील कर रहा हूँ मैं वर्ना तुझसे तो मुझको प्यार नहीं तकमील =पूर्णता ***है वही बात यूँ भी और यूँ भी तुम सितम या करम की बात...
View Articleकिताबों की दुनिया - 194
सिर्फ कमरे में बिछा कालीन देखा है आपने कालीन की दुनिया नहीं देखी *** अजब मेरी कहानी है कि जिसमें कहीं भी ज़िक्र मेरा ही नहीं है *** तूने मुझे जो अच्छा बताया तो ये हुआ अपनी कई बुराइयाँ फिर याद आ गईं...
View Articleकिताबों की दुनिया - 195
कांटा है वो कि जिसने चमन को लहू दिया ख़ूने -बहार जिसने पिया है , वो फूल है *** अपने पहलू में सजा लो तो इसे चैन आये दिल मेरा ग़म की धड़कती हुई तस्वीर सही *** न जाने कौनसी मंज़िल पे आ पहुंचा है प्यार अपना...
View Articleकिताबों की दुनिया - 196
हम तो रात का मतलब समझे, ख़्वाब, सितारे, चाँद, चराग़ आगे का अहवाल वो जाने जिसने रात गुज़ारी हो अहवाल =हाल *** मुझे कमी नहीं रहती कभी मोहब्बत की ये मेरा रिज़्क़ है और आस्मां से आता है रिज़्क़=जीविका *** वो...
View Articleकिताबों की दुनिया - 197
सिर्फ मंज़िल पे पहुँचने का जुनूँ होता है इश्क में मील के पत्थर नहीं देखे जाते *** जिसका पेट भरा है वो क्या समझेगा भूख से मरने वाले कितने भूखे थे *** इसके मजमे की कोई सीमा नहीं आदमी दर्शक मदारी...
View Articleकिताबों की दुनिया -198
"तशरीफ़ लाइए हुज़ूर"ख़िदमदगार फर्शी सलाम करता हुआ हर आने वाले को बड़े अदब से अंदर आने का इशारा कर रहा था। दिल्ली जो अब पुरानी दिल्ली कहलाती है में इस बड़ी सी हवेली, जिसके बाहर ये ख़िदमतगार खड़ा था, को फूलों...
View Articleकिताबों की दुनिया - 199
अगर ये जानते चुन-चुन के हमको तोड़ेंगे तो गुल कभी न तमन्नाए-रंगो-बू करते *** दिखाने को नहीं हम मुज़तरिब हालत ही ऐसी है मसल है -रो रहे हो क्यों ,कहा सूरत ही ऐसी है मुज़तरिब=बैचैन , मसल =मिसाल *** बाद...
View Articleकिताबों की दुनिया - 200
ता-हश्र उसका होश में आना मुहाल है जिसकी तरफ सनम की निगाहे-नयन गई ता-हश्र =क़यामत तक *** साफ़ी तिरे जमाल की कां लग बयां करूँ जिस पर कदम निगाह के अक्सर फिसल गए साफी =सफाई, सुंदरता , जमाल =रोशनी ,कां लग...
View Articleकिताबों की दुनिया -201
मिले तो खैर न मिलने पे रंजिशें कैसी कि उससे अपने मरासिम थे पर न थे ऐसे *** आस कब दिल को नहीं थी तेरे आ जाने की पर न ऐसी कि क़दम घर से न बाहर रखना *** मेरी गर्दन में बाहें डाल दी हैं तुम अपने आप से उकता...
View Articleकिताबों की दुनिया - 202
दरिया की ज़िन्दगी पर सदके हज़ार जानें मुझको नहीं गवारा साहिल की मौत मरना *** इधर से भी है सिवा कुछ उधर की मज़बूरी कि हमने आह तो की उनसे आह भी न हुई सिवा=ज्यादा *** हर एक मकाँ में कोई इस तरह मकीं है पूछो...
View Articleकिताबों की दुनिया - 203
तुझको शैतान के हो जायेंगे दर्शन वाइज़ डालकर मुंह को गिरेबाँ में कभी देखा है *** ज़िन्दगी को ज़िन्दगी करना कोई आसाँ न था हज़्म करके ज़हर को करना पड़ा आबे-हयात *** हज़ार शुक्र कि मायूस कर दिया तूने ये और बात कि...
View Articleकिताबों की दुनिया - 204
मिला था एक यही दिल हमें भी आप को भी सो हम ने इश्क रखा, आपने ख़ुदा रक्खा *** है इंतज़ार उसे भी तुम्हारी खुशबू का हवा गली में बहुत देर से रुकी हुई है *** बीच में कुछ भी न हो यानी बदन तक भी नहीं तुझसे मिलने...
View Articleकिताबों की दुनिया - 205
बारहा ऐसा हुआ है याद तक दिल में न थी बारहा मस्ती में लब पर उनका नाम आ ही गया *** खाइयेगा इक निगाहे-लुत्फ़ का कब तक फ़रेब कोई अफसाना बना कर बदगुमाँ हो जाइये *** फिर मिरी आँख हो गयी नमनाक फिर किसी ने मिज़ाज...
View Articleज़िस्म तक ही अगर रहे महदूद
अच्छा !!!आपने क्या समझा की "किताबों की दुनिया "श्रृंखला को विराम दे दिया तो आपको मुझसे छुट्टी मिल गयी? -वाह जी वाह -ऐसे कैसे ? कितने भोले हो आप ? लीजिये एक ग़ज़ल झेलिये - न न लाइक करने या कमेंट की ज़हमत...
View Articleकिताबों की दुनिया 206 /1
पहले तो हम छान आए ख़ाक सारे शहर की तब कहीं जा कर खुला उसका मकाँ है सामने ***तुम्हारे शहर में तोहमत है ज़िंदा रहना भी जिन्हें अज़ीज़ थीं जानें वो मरते जाते हैं ***तेरे लिए चराग़ धरे हैं मुँडेर पर तू भी अगर...
View Article