सूर्यास्त
सोचता हूँ आज आपको अपनी दोयम दर्ज़े कि ग़ज़ल पढ़वाने के बजाय एक ऐसी अद्भुत रचना पढ़वाई जाय जिसकी मिसाल हिंदी साहित्य में ढूंढें नहीं मिलती ( कम से कम मुझे ). इस बार दिल्ली के पुस्तक मेले में मुझे बरसों से...
View Articleकिताबों की दुनिया -92
नगर में प्लास्टिक की प्लेट में खाते तो हैं लेकिन मुझे वो ढाक के पत्तल ओ दोने याद आते हैं कभी मक्का की रोटी साग या फिर मिर्च की चटनी पराठें माँ के हाथों के तिकोने याद आते हैं मेरा बेटा तो दुनिया में...
View Articleकिताबों की दुनिया - 93
देश इस समय चुनावी दौर से गुज़र रहा है। हर दल अपनी अपनी पुंगी बजा कर मत दाता को लुभाने में लगे हैं। बहुत कम हैं जो देश के विकास की बात कर रहे हैं अधिकाँश को दूसरों के धर्म भाषा सूरत सीरत आदि में कमियां...
View Articleकिताबों की दुनिया -94
सावन को जरा खुल के बरसने की दुआ दो हर फूल को गुलशन में महकने की दुआ दो मन मार के बैठे हैं जो सहमे हुए डर से उन सारे परिंदों को चहकने की दुआ दो वो लोग जो उजड़े हैं फसादों से, बला से लो साथ उन्हें फिर से...
View Articleकिताबों की दुनिया - 95
दिन एक सितम, एक सितम रात करो हो वो दोस्त हो, दुश्मन को भी तुम मात करो हो हम को जो मिला है वो तुम्हीं से तो मिला है हम और भुला दें तुम्हें ? क्या बात करो हो दामन पे कोई छींट न खंज़र पे कोई दाग़ तुम क़त्ल...
View Articleआसमाँ किस सहारे होता है ?
एक ग़ज़ल यूँ ही बैठे -ठाले कौन कहता है छुप के होता है क़त्ल अब दिन दहाड़े होता है गर पता है तुम्हें तो बतलाओ इश्क कब क्यों किसी से होता है ढूंढते हो सदा वहाँ उसको जो हमेशा यहाँ पे होता है धड़कनें घुँघरुओं...
View Articleकिताबों की दुनिया - 96
जिस को भी अपने जिस्म में रहने को घर दिया उन्हीं के हाथ से मिरी मुठ्ठी में जान बंद जिन की ज़बान मेरी खमोशी ने खोल दी उन को गिला कि क्यों रही मेरी ज़बान बंद बाज़ार असलेहे का रहे रात भर खुला राशन की दिन ढले...
View Articleकिताबों की दुनिया - 97
गलियों गलियों दिन फैलाता हूँ लेकिन घर में बैठी शाम से डरता रहता हूँ पेड़ पे लिख्खा नाम तो अच्छा लगता है रेत पे लिख्खे नाम से डरता रहता हूँ बाहर के सन्नाटे अच्छे हैं लेकिन अंदर के कोहराम से डरता रहता हूँ...
View Articleकिताबों की दुनिया - 98
अक्सर मुझे ही शायरी की किताब ढूंढने के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है , बहुत सी किताबें देखता हूँ ,खरीदता हूँ पढता हूँ और उन में से मुझे जो किताब पसंद आती है उसका जिक्र अपनी इस 'किताबों की दुनिया'श्रृंखला...
View Articleकिताबों की दुनिया - 99
नर्म लहज़े में दर्द का इज़हारगो दिसंबर में जून की बातें **** जुर्म था पर बड़े मज़े का था जिसको चाहा वो दूसरे का था **** ज़ेहन की झील में फिर याद ने कंकर फेंका और फिर छीन लिया चैन मिरे पानी का**** जब भी...
View Articleकिताबों की दुनिया - 100
मुंह पर मल कर सो रहे काली कीचड़ ज़िन्दगी जैसे यूँ धुल जाएँगी होने की रूसवाइयां गिर कर ठंडा हो गया हिलता हाथ फकीर का जेबों में ही रह गयीं सब की नेक कमाईयां फिरता हूँ बाज़ार में , रुक जाऊं लेता चलूँ उसकी...
View Articleकिताबों की दुनिया - 101
इंसान में हैवान , यहाँ भी है वहां भी अल्लाह निगहबान, यहाँ भी है वहां भी रहमान की कुदरत हो या भगवान की मूरत हर खेल का मैदान , यहाँ भी है वहां भी हिन्दू भी मज़े में हैं, मुसलमां भी मज़े में इन्सान परेशान ,...
View Articleअँधेरी रात में जब दीप झिलमिलाते हैं
दिपावली के शुभ अवसर पर पंकज सुबीर जी के ब्लॉग पर तरही मुशायरे का सफल आयोजन हुआ ,उसी में प्रस्तुत खाकसार की ग़ज़ल दुबक के ग़म मेरे जाने किधर को जाते हैं अँधेरी रात में जब दीप झिलमिलाते हैं हज़ार बार कहा यूँ...
View Articleकिताबों की दुनिया -102
उस पार से मुहब्बत आवाज़ दे रही है दरिया उफ़ान पर है दिल इम्तहान पर है ऊंचाइयों की हद पर जा कर ये ध्यान रखना अगला कदम तुम्हारा गहरी ढलान पर है 'राजेंद्र'से भले ही वाक़िफ़ न हो ज़माना ग़ज़लो का उसकी चर्चा सबकी...
View Articleकिताबों की दुनिया - 103 /1
इस बार "किताबों की दुनिया"श्रृंखला में दो ऐसी बातें हो रहीं हैं जो इस से पहले मेरे ब्लॉग पर कभी नहीं हुई. अब आप पूछिए क्या ? पूछिए न ? आप पूछते नहीं तभी ये बातें होती हैं। चलिए हम बता देते हैं "सुनिए...
View Articleकिताबों की दुनिया -108
उर्दू शायरी पर अगर आप एक नज़र डालें तो वो ज्यादातर गुल,गुलशन ,तितलियाँ, बहार , खार ,दश्त ,ख़िज़ाँ , बादल, हवा, फलक, चाँद, सितारे, ख़्वाब ,नीदें ,सहरा ,झील ,समंदर,दरिया,साहिल ,कश्ती ,तूफाँ ,महबूब ,आँखें...
View Articleकिताबों की दुनिया -109
अब जियादा तिश्नगी के सिलसिले पे हम मिलेंगे हम में अब तुम कम मिलोगे तुम में हम अब कम मिलेंगे इस नुकूशे ख्वाब की बस्ती से आँखों जल्द गुज़रो आ गया गर दिन तो सारे रास्ते मुब्हम मिलेंगे नुकूशे ख्वाब : सपनो...
View Articleकिताबों की दुनिया -110
आज हम अपनी बात मशहूर शायर "शकील ग्वालियरी "द्वारा लिखे लेख की इन पंक्तियों से करते हैं कि "उर्दू शायरी में ग़ज़ल ऐसी विधा है जिसे सैंकड़ों सालों से समझा जा रहा है। जिनका दावा है कि उन्होंने ग़ज़ल को उसके हक़...
View Articleकिताबों की दुनिया - 111
पैशन और फैशन सुनने में तुकांत शब्द हैं लेकिन दोनों में बड़ा फर्क है। पैशन आत्मा /रूह का श्रृंगार है और फैशन बदन का। बिना किसी पैशन के ज़िन्दगी कागज़ के उस खूबसूरत फूल की तरह है जिसमें खुशबू नहीं होती।...
View Articleकिताबों की दुनिया -112
आँख भर आयी कि यादों की धनक सी बिखरी अब्र बरसा है कि कंगन की खनक सी बिखरी अब्र = बादल जब तुझे याद किया रंग बदन का निखरा जब तिरा नाम लिया कोई महक सी बिखरी शाख-ए -मिज़गां पे तिरी याद के जुगनू चमके...
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