किताबों की दुनिया - 129
उर्दू के बेहतरीन शायरों की शायरी का हिंदी में तर्जुमा हो चुका है और हो भी रहा है। हिंदी का एक विशाल पाठक वर्ग है जो शायरी से उतनी ही मोहब्बत करता है जितनी कि उर्दू पढ़ने समझने वाले लोग। इसी सिलसिले में...
View Articleकिताबों की दुनिया -130
आज आत्म प्रशंशा, आत्म मुग्धता और आत्म स्तुति के इस संक्रमक दौर में जहाँ हर बौना अपने आपको अमिताभ से ऊंचा और हर तुक्के बाज़ अपने को ग़ालिबो मीर से बेहतर मानता हो अगर कोई ताल ठोक कर सोशल मीडिया के...
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आसमानों की बुलंदी में कहाँ आया ख्याल इक नशेमन भी बना लूँ चार तिनके जोड़कर बेयक़ीनी ने ये कैसा ख़ौफ़ मुझमें भर दिया अब कहीं जाता नहीं मैं खुद को तनहा छोड़कर कम से कम दस्तक ही देकर देख लेता एक बार मुझमें...
View Articleअगर भीग जाने की चाहत नहीं है
"आया है मुझे फिर याद वो ज़ालिम ....गुज़रा ज़माना ब्लॉग्गिंग का " --- मैं तो ब्लॉग्गिंग से गया ही नहीं, बस ये गाना गाता रहा "तेरा पीछा न मैं छोडूंगा सोनिये --भेज दे चाहे जेल में"कुछ हलचल फिर से दिखाई दे...
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अमिताभ बच्चन की एक पुरानी फिल्म "नसीब"का ये गाना शायद नयी पीढ़ी ने न सुना हो लेकिन हम जैसे पुराने लोग इसे अब भी कभी कभी गुनगुना लेते हैं "ज़िन्दगी इम्तिहान लेती है...."ये गाना महज़ गाना नहीं एक सच्चाई है...
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सिर्फ बातों से ही मैं कितना भरम रक्खूँगा सामने आ कि मुझे होश हुआ जाता है कुछ तो रफ़्तार भी कछुवे की तरह है अपनी और कुछ वक्त भी खरगोश हुआ जाता है सोने वाले हमें किस्सा तो सुनाते पूरा यार ऐसे कहीं ख़ामोश...
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"बीकानेर" - जिसका नाम लोकप्रिय बनाने में "बीकानेरवाला"के नाम से जगह जगह खुले रेस्टॉरेंट ने अहम् भूमिका निभाई है , राजस्थान का पाकिस्तान की सीमा से लगा एक अलमस्त शहर है। लगभग 8-10 लाख की जनसँख्या वाले...
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अच्छे बुरे का मेरे, जमा ख़र्च तुम रखो मैं तो जीऊंगा ज़िन्दगी अपने हिसाब से आदत सी पड़ न जाय कहीं जीत की मुझे सो चाहता हूँ खेलना बाज़ी जनाब से दौरे-ख़िज़ाँ का पहरा है गुलशन में चारसू कैसे मैं हाल खुशबू का...
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धुंध ठिठुरन चाय स्वेटर और तुम मुझको तो इस रुत का चस्का लग गया किस तरह पीछा छुड़ाऊं चाँद से क्यों मिरे पीछे ये गुंडा लग गया बस अभी ही नींद आई है हमें और साज़िश में सवेरा लग गया उत्तर प्रदेश का एक जिला है...
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ब्याह तो मेरा हुआ, पर दे रहा था हर कोई मेरे दुश्मन को बधाई रात के बारह बजे तब हुआ एहसास मुझको हो गयी बेटी जवान कंकरी जब घर पे आयी रात के बारह बजे और कहा था मैंने गंगाजल का लाया बोतल 'रम'की अब ढक्कन...
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मेरा चेहरा वही ,वही हूँ मैं बात इतनी है वक्त दुश्मन है आ गयी फिर ख़ुशी मिरे दिल में ये मेरी शायरी की सौतन है चंद कतरे हैं मेरी आँखों में मेरा सावन भी कितना निर्धन है ये तो इत्तेफ़ाक़ ही है -आप इसे हसीन...
View Articleकिताबों की दुनिया - 139
गर्दने खिदमत में हाज़िर हैं हमारी लीजिये भोंतरे ही ठीक हैं, चाकू न पैने कीजिये दाना-पानी तक को ये पिंजरा नहीं खोला गया जब से मैंने कह दिया है -मेरे डैने दीजिये हम हुए सुकरात सारे दोस्तों के बीच में'एक...
View Articleकिताबों की दुनिया - 140
शेर एक तितली हैज़ेहन के गुलिस्ताँ की रंग-रंग दुनिया मेंपंखुड़ी से पर लेकरनाचता ही रहता हैशायर एक बच्चा हैज़ेहन के गुलिस्ताँ की रंग-रंग दुनिया मेंउस हंसीं पैरों वाली बेक़रार तितली के पीछे-पीछे चलता हैगिरता...
View Articleकिताबों की दुनिया -141
तुम्हारी याद में आँखों से जब बरसात होती है तो खुशबू में नहाई चाँद-सी वो रात होती है किसी से हम मुख़ातिब हों कोई हो रूबरू अपने तुम्हीं को देखते हैं और तुम्हीं से बात होती है हमारे पास तो ले देके बस है...
View Articleकिताबों की दुनिया - 142
जो मंज़र आँख पर है ,लम्हा लम्हा मिरे सीने के अंदर खुल रहा है कभी खुद मौज साहिल बन गयी है कभी साहिल, कफ़-ऐ-दरिया हुआ है कफ़-ऐ-दरिया=नदी की हथेली पलट कर आएगा बादल की सूरत इसी खातिर तो दरिया बह रहा है महकते...
View Articleकिताबों की दुनिया -143
कल मेरे लफ़्ज़ों में मेरी जान रहेगी दुनिया जब देखेगी तो हैरान रहेगी जब दिल से तस्वीर तेरी हट जाएगी जीने और मरने में क्या पहचान रहेगीरिश्ता जब यादों का दिल से टूटेगा मर जाने की मुश्किल भी आसान रहेगी हिज्र...
View Articleकिताबों की दुनिया -144
पुरानी साइकल की हम मरम्मत को तरसते हैं हमारे गाँव का सरपंच नित कारें बदलता है पड़ौसी का जला कर घर तमाशा देखने वालों हवा का रुख बदलने में ज़रा सा वक़्त लगता है अंधेरों से ज़रा भी हिम्मतों को डर नहीं लगता...
View Articleकिताबों की दुनिया -145
आप तस्वीर में न मर जाएँ चलना फिरना बहुत जरूरी है ज़िन्दगी में बिना किताबो-क़लम पढ़ना-लिखना बहुत जरूरी है याद करना उसे जरूरी नहीं याद रखना बहुत जरूरी है मेरा होना पता नहीं चलता तुमको छूना बहुत जरूरी है जब...
View Articleकिताबों की दुनिया -146
तअल्लुक़ की नई इक रस्म अब ईजाद करना है न उसको भूलना है और न उसको याद करना है ज़बाने कट गईं तो क्या, सलामत उँगलियाँ तो हैं दरो-दीवार पे'लिख दो तुम्हें फ़रियाद करना है बना कर एक घर दिल की ज़मीं पर उसकी यादों...
View Articleकिताबों की दुनिया -147
दूर से इक परछाईं देखी अपने से मिलती-जुलतीपास से अपने चेहरे में भी और कोई चेहरा देखासोना लेने जब निकले तो हर-हर ढेर में मिटटी थीजब मिटटी की खोज में निकले सोना ही सोना देखारात वही फिर बात हुई ना हम को...
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